पतिदेव फरमाए
प्रिय, कविताएं कुछ गढ़ा करो
यूं ही थोड़ा अभ्यास, थोड़ी कमाई होगी
और लोग पढेंगे जागृत होंगे,
मैंने भी अपना हाल सुनाया,
शब्दों का मायाजाल बनाया,
कहा, यूं ही लोग महंगाई की मार से बेहाल हैं,
कविता का बोझ कैसे सह पाएंगे
क्यों उनकी मुश्किल और बढाऊं
ऐसे में सुंदर, सस्ती और टिकाऊ कविता
कहां से लाऊं।।