पतिदेव फरमाए
प्रिय, कविताएं कुछ गढ़ा करो
यूं ही थोड़ा अभ्यास, थोड़ी कमाई होगी
और लोग पढेंगे जागृत होंगे,
मैंने भी अपना हाल सुनाया,
शब्दों का मायाजाल बनाया,
कहा, यूं ही लोग महंगाई की मार से बेहाल हैं,
कविता का बोझ कैसे सह पाएंगे
क्यों उनकी मुश्किल और बढाऊं
ऐसे में सुंदर, सस्ती और टिकाऊ कविता
कहां से लाऊं।।
bahut acchi kavita hai....
जवाब देंहटाएंkavita likhne ki koshish he kavita ban gyi. kya baat hai...
जवाब देंहटाएंमहंगाई में सस्ती और अच्छी कविता मिल गई। दुर्रररररररररररर
जवाब देंहटाएंआप दोनों को धन्यवाद
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