बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

एक शब्द देना चाहती हूं


तेरी खामोशी को मैं एक शब्द देना चाहती हूँ
तुझे हसंता और चहकता देखना चाहती हूँ
ज़ालिम जमाने से तुझे महफूज रखना चाहती हूँ
तेरी खामोशी से मुझे आज भी डर लगता
बस तू अपनी खामोशी को एक शब्द देदे।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें