सोमवार, 14 मार्च 2011

वक्त

* ‘वक्त’ से आगे निकलने की यूं
जल्दबाजी न करो, ऐसा न हो
जिन्दगी मौत से बदतर हो जाए।।
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* ‘वक्त’ के चौराहे पर दिए कितने ही इम्तिहान,
इन्हीं इम्तिहानों ने आज जीना सिखा दिया।।
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* ‘वक्त’ को इतना धोखा दिया,
कि जिन्दगी धोखे में ही गुजर गई।।
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* ‘वक्त’ ने इशारों से बहुत समझाया,
पर मैं ही मूर्ख था एक भी इशारा समझ न पाया।
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* ‘वक्त’ की मार ने पहलवां यूं बनाया,
कि हर तकलीफ अब आसां हो गई।।
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* ‘वक्त’ की तपिश ने सोने को भी गलाया,
हम तो बड़े मामूली हैं जाने हश्र क्या होगा।।
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* ‘वक्त’ होगा कभी तो मेहरबां मुझपर
यह सोचकर बस जिए जा रहे हैं।।

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